वीरान दीवारों पर कला उकेरते हैं मुकेश नेगी

उत्तराखण्ड के 25 वर्षीय मुकेश नेगी के हाथों में कला बसती है। कैनवास हो या सपाट घर की वीरान दीवारें जिन पर अब तक शायद ही किसी का ध्यान गया हो, चित्रकार मुकेश के ब्रश और रंगों की बदौलत यह बोल पड़ती हैं। अब तक सैकड़ों चित्र बना चुके मुकेश नेगी को अपनी पहाड़ी संस्कृति से बेहद लगाव है। उनकी तस्वीरों में कहीं न कहीं वो नजर भी आता है। शौक से शुरू हुआ मुकेश का सफर अब व्यवसाय बन गया है। या यूं कहिए कि अब यही कला उनकी पहचान बनती जा रही है। अपने मन का काम करने के अलावा मुकेश टीम के साथ मिलकर व्यवसायिक बड़े प्रोजेक्टस पर काम कर अपने सपनों को बड़ा आकार देने में जुटे हैं।
चमोली जिले के रहने वाले मुकेश नेगी के भीतर कला का यह हुनर भीतर बचपन से ही है। केन्द्रीय विद्यालय आईडीपीएल में पढ़ते हुए भी अपने कला के हुनर से वे अध्यापक व छात्रों के बीच एक कलाकार की छवी बना चुके थे। 10वीं कक्षा में मुकेश नेगी ने अपनी कॉपी के पिछले पन्ने पर गुरू जी का हू-ब-हू स्कैच बनाकर दिखा दिया। गुरू ने भी इस शैतानी को नजरअंदाज कर मुकेश के भीतर की कला को समझा और उसे शाबाशी दी। 11 वीं और 12वीं में मुकेश अपने सहपाठियों के हाथो में बॉल पेन से टैटू बनाने के लिए चर्चाओं में रहे। धीरे-धीरे इसी लगन ने मुकेश को आज इस मुकाम तक पहुंचा दिया।

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मुकेश ने अब तक 150 से अधिक कैनवास और 60 से अधिक वॉल पेंटिंग की हैं। मुकेश एक राष्ट्रस्तरीय नामचीन ऑर्ट गैलरी के सदस्य और उत्तराखण्ड के व्यवस्थापक भी हैं। जिसके तहत वे टीम के साथ मिलकर कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। जिनमें से एक विषय महिला सशक्तिकरण भी है।
कला से मुकेश का है गहरा नाता- मुकेश कहते हैं कि उन्हें यह कला ईश्वर द्वारा पुरस्कार स्वरूप सौंपी है। लेकिन इसे निखारने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है। अपनी रचनात्मकता को निखारने के लिए मुकेश समाज के हर व्यक्ति विशेष, स्थान व संस्कृति को ऑब्जर्व यानी अवलोकन करते हैं।
कला के क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए मुकेश सलाह देते हैं कि कभी भी किसी एक कलाकार का अनुसरण मत करो। सीखो सभी से लेकिन उनकी कॉपी न बनकर खुद की अलग पहचान बनाओ।

मुकेश के बनाए चित्रों में खासियत यह है कि उनके चित्रों में हाथों की चित्रकारी अधिक नजर आती है। स्वैटर बुनती वृद्धा के हाथ, ब्रश का इस्तेमाल करते कलाकार का हाथ, पुरूष के बनिस्पत दो हथौड़े थामे महिला के हाथ आदि। मुकेश कहते हैं कि बचपन से ही वे अपनी माँ के स्वेटर बुनते हाथों को निहारते आए हैं। इसके अलावा गांव में लकड़ी से काष्ठ कला का नमूना तैयार करते उनके नाना के हाथ भी उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने।

मुकेश कहते हैं कि ऐसा अक्सर होता है कि भीड़ भाड़ वाली जगह पर भी वहाँ की कोरी दीवारें मेरा ध्यान अपनी ओर खींचती हैं। मानो वे सब मेरी कला के रंग में रंगे जाने को लालाहित हों।
मुकेश का पहला सपना था कि वे स्ट्रीट आर्टिस्ट बनें सो उन्होंने वो मुकाम पा लिया। अब वे अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर ऑर्ट महोत्सव में हिस्सा लेकर अपनी नई पहचान बनाना चाहते हैं।

इंस्टाग्राम पर मुकेश मोजार्टियन (Mojartian) नाम से जाने जाते हैं

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इनऋषिकेश टीम की ओर से मुकेश नेगी के उज्ज्वल भविष्य के लिए ढे़रों शुभकामनाएं।

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