ऋषिकेश में स्वाद का दूसरा नाम है हीरा समोसा

साधारण सा नाम हीरा सिंह बिष्ट शहर में एक दिन इतना प्रचलित हो जाएगा, इसकी कल्पना तो शायद खुद उन्होंने भी नहीं की होगी। चाय समोसे की छोटी सी दुकान आज बड़े-बड़े होटलों से दूर अपनी अलग पहचान बनाए है, इसके पीछे केवल उनकी लगन और मेहनत मात्र है। वो आज हमारे बीच नहीं लेकिन उनकी आत्मा आज भी यहाँ बसती है।

मेरा नाम राधा बिष्ट है, इनकी अर्धांग्निी हूं यही मेरा सौभाग्य है। ग्राहकों के प्रति जैसा उनका आदर, सदव्यवहार उन्होंने अपने जीते जी बनाए रखा, उसे वैसी ही बनाए रखने की जिम्मेदारी निभा रही हूं, और कुछ नहीं तो लोगों से आदर सम्मान बहुत मिला। साधारण रेसिपी लेकिन शुद्ध पारंपरिक अंदाज में समोसे और छोले भटूरे बनाए जाते हैं। पूर्व पालिका अध्यक्ष से लेकर सामाजिक और राजनीतिक हस्तियां हीरा समोसे के प्रशंसक हैं और क्या चाहिए।

वर्ष 1971 से शहर के सबसे पुरानी और छोले समोसे की पहली दुकान है, हीरा समोसा। कुमाऊँ मण्डल के जिला अल्मोड़ा के रहने वाले हीरा सिंह बिष्ट 13 वर्ष की उम्र में घर से किसी बात पर नाराज होकर भाग आए। यहाँ आकर व्यापार के नाम पर पहले चाय की दुकान लगाई और फिर देखते ही देखते समोसे और छोले भटूरे। तब पचास पैसे में समोसे मिलते थे, अच्छा! तब जो खाते थे, वो ग्राहक हमारे आज भी कायम हैं, क्यों ? क्योंकि स्वाद और गुणवत्ता तो है ही साथ ही ग्राहकों को वो आदर सत्कार आज भी मिलता है। लगभग 200 से 250 ग्राहक रोजाना के हैं। आप यकीन नहीं करेंगे कुछ ग्राहक जो मुंबई बस गए हैं, जब भी ऋषिकेश आते हैं तो यहाँ से छोले, समोसे पैक करके वहाँ ले जाते हैं। दुकान में जरा सी लापरवाही अगर हमने या कारीगर ने की तो तुरंत हमें किसी भी इशारे से हिदायत दे देते हैं। लगता है जैसे आज भी दुकान का मैनेजमेंट वही देख रहे हैं। उनकी सोच और मेहनत यूं ही रंग लाती रहे ईश्वर से यही कामना है।

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