सागर से आकाश तक रोमांच की सैर
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विश्व के सबसे पहले पर्वतारोही हिलेरी ,जिन्होंने एवरेस्ट फतह की न जाने कितने रोमांच से परिपूर्ण अभियानों को रचा, कीर्तिमान रचे।
न्यूजीलैंड के इस खतरों के खिलाड़ी ने वर्ष 1977 में भारत में बंगाल की खाड़ी से उत्तराखंड हिमालय तक सागर से आकाश तक एक अद्भुत रोमांचकारी अभियान संचालित किया।इस अभियान में कुछ भारतीयों सहित एक दल का नेतृत्व करते हुए हिलेरी निकले समुद्र से आकाश की ओर गंगा की विपरीत प्रवाह धारा को चीरते हुए। जेट बोट पर सवार लहरों के रोमांच की सैर।
अभियान हिमालय के शीर्ष या यूं कहें कि आकाश के निकट, उत्तराखंड चमोली जिले में नंदप्रयाग के समीप अलकनंदा के तीव्र प्रवाह युक्त संकरे प्रपात पर समर्पण के रूप में बदल गया।
हिलेरी अपने दल को प्रकृति की इस छोटी बाधा से पार न करा सके… अनेक अनेक जटिलताओं पर विजय प्राप्त करते हुए हिमालय में आकर उन्होंने अपनी सभी विजयों को प्रकृति के शीर्ष में सजा दिया।यह अभियान हार जीत का नहीं ,समर्पण का अभियान बना …जो हिलेरी के रोमांच के मान को कहीं कम नहीं करता बल्कि हिमालय के मुकुट में एक साहसी नगीने की तरह चमकता तो है ही..हिमालय सर्वोच्च है..विराट है।
इस अभियान में हिलेरी तथा उनके दल को आपार जन समर्थन व स्नेह प्राप्त हुआ।भारी जनसमूह उनका स्वागत करता, रोमांच..कौतूहल की इस सैर में प्रतिभाग करता एक दुर्लभ वीडियो जो इस अभियान के कर्णप्रयाग पहुंचने के रोमांच से आपको आनंदित करेगा..इस अभियान का हिस्सा बना देगा..अनूठी रोमांच की सैर…
Story Source – सैर सलीका” (Travel Manners CMTHS)